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अपने देश में उन्हें जब कभी भी हमारी याद आएगी ...
दूर कही प्रतापगढ़ की गलियों में उसे देख था, ...
सभा में सभी राजपूत बिरादरी के लोगों से आह्वान किया गया कि वे इस आयोजन में अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर अपने स्वाभिमान और परंपरा को सशक्त बनाएं। सभा में एक प्रस्ताव पारित कर मुख्यमंत्री सुखविंद ...
सुधा,गरल, रिपु के समक्ष, ...
, कल को विदा तुमसे हो जायेंगे। कहना है जो कुछ तुम आज कह दो, कल बेनजर तुमसे हो जायेंगे।। ...
सूरज निकला नभ में, कि घटाएँ छा गईं, ...
समाज के डर से जो भी अपने फैसले बदलता है, ...
मोहब्बत है तो मोहब्बत का-- असर क्यों नहीं आता, ...
बचपने में सोचता था, बड़ा होना है, ...
माना कि राहे मुश्किल हैं, काँटों भरी कहानी है, ...
गद्दारों की बातें सुनकर दिल का हाल क्यों बुरा करते हो, ...
कहीं बारिश से हो रही तो कहीं बादल गरज रहे हैं ...