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गद्दारों की बातें सुनकर दिल का हाल क्यों बुरा करते हो, ...
कहीं बारिश से हो रही तो कहीं बादल गरज रहे हैं ...
मोहब्बत है तो मोहब्बत का-- असर क्यों नहीं आता, ...
मत समझ उसे बस रौद्र मुखी, ...
बचपने में सोचता था, बड़ा होना है, ...
जिंदगी जंग सी लगने लगी है, ...
मंज़र धुंधला हो सकता है, ...
माना कि राहे मुश्किल हैं, काँटों भरी कहानी है, ...
तेरी जिंदगी में चार चांद लग जाए, ...
खाकर हर रोज़ दर्द नया मैं मरना चाहता दूर तेरी दुनिया से जला के चिराग़ सकूं से जीना चाहता हूं ...
कभी बिना बात के मन भारी सा लगता है, ...
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